माँ
माँ
मैंने देखी नहीं, माँ की सूरत
कहाँ से पाऊँगा, माँ का प्यार।
माँ करती है ,प्यार-दुलार
ये बतियाते हैं मुझसे -यार
मैं अनाथ ये क्या जानूँ
क्या होता है माँ का प्यार
बिन माँ के लगते सूने त्यौहार।
मैंने देखी नहीं, माँ की सूरत
कहाँ से पाऊँगा, माँ का प्यार।
माँ का आँचल
आँखों का काजल
मीठे से सपने
जैसे खो गए हो अपने
बिन माँ के लगता है कोरा संसार।
मैंने देखी नहीं, माँ की सूरत
कहाँ से पाऊँगा, माँ का प्यार।
ऊपर वाले, ओ रखवाले
अंधेरों में भी, देता उजियाले
मेरी विनती सुन, दे माँ का प्यार
बिन माँ के कहाँ से पाऊँगा माँ का प्यार।
मैंने देखी नहींं, माँ की सूरत
कहाँ से पाऊँगा, माँ का प्यार।।