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Sonias Diary

Drama

4.7  

Sonias Diary

Drama

आज हम...।।

आज हम...।।

1 min
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जब चला इंसान 

पृथ्वी को छोड़

नभ में 

चाँद पाया 

मंगल पाया 

एक ओर धरती को ढूँढ लिया। 


 पग जैसे ही रखा जमीम पर 

वहाँ के वासी ने आ घेर लिया 

हाथ में मशाल थी उसके 

एक हाथ में लाठी थी। 


डरा इंसान ख़ुद इंसान देख 

हैरान ही तो था हो रहा 

शाम का सूरज 

लालिमा लिए 

पहाड़ों की बर्फ़ में से था झाँक रहा।


परछाईं थी गहराई थी 

बात समझ में ना आयी थी 

हमला करने लगे बड़ने 

पीछे खड़ी उस युवती 

ने तभी उन्हें पुकारा था।


रुक गए वो दोनों वासी 

आवाज़ का बस एक इशारा था 

इंसान ने भी तो इंसान को 

हाथ से ठहरने की

गुहार लगायी थी।


पूर्वजों सा देश 

सुहावना सा दे। 

आस पास साथी बहुत 

आगे बढ़ते गए 

अपने छूटते गए। 


आदिवासी थे 

कपड़े थे ना दिमाग़ थे 

बस हम प्यारे थे 

हम इंसान थे

आज हम क्या हैं

आज हम ……।



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