समय के साथ दृष्टिकोण बदलते हैं
समय के साथ दृष्टिकोण बदलते हैं
न प्रसिद्धि टिकती है
न बेनामी ज़िन्दगी
कौन कब तक याद रखता है भला !
राम, रहीम, कृष्ण, कबीर,
सीता, यशोधरा, कैकेयी
सब अपने दृष्टिकोण हैं
बोलो तो अनगिनत बातें
चुप रहो तो नदी है या नहीं
क्या फर्क पड़ता है !
हाँ, कोई उधर न जाए
तो संदेहास्पद होता है क्षेत्र
संदेह के आगे
विशेषताओं की ज़रूरत
क्षीण होती है !
आज तुम शिखर पर हो
तो तुम उदाहरण हो
कल शिखर किसी और का होगा
उदाहरण कोई और होगा !
इतिहास पर उकेरे भी जाओ
तो कौन जाने
कब कैसी विवेचना हो
समय के साथ दृष्टिकोण बदलते हैं
और उनके मायने भी ... !