तेरे जाने से
तेरे जाने से
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देख तेरे जाने से साँसे न थमी हमारी
बात ये और कि जिन्दगी, जिन्दगी न हमारी ।
यूँ तो महफिल में मुस्कुराहटों का सिलसिला है
जाने फिर क्यूँ अन्दर मेरे कुछ टूटा सा है ।
ख्वाहिशें जिन्दगी की अब तो सिमटती जा रही है
आँखें है बिन बात जो छलकती जा रही हैं ।
खामोशियों पर भी तंज कसे जा रहे हैं
देख फिर भी तन्हा हम जिये जा रहे हैं ।