डूब रहा है सूरज
डूब रहा है सूरज
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डूब रहा है सूरज
होने लगी है छाँव
अभी-अभी देखा है मैंने
आँखों से ओझल होता गाँव।
कभी तपता रहता था धूप में
आज कल सफेद
रजाई में लिपटे हुए हैं पाँव।
डूब रहा है सूरज
होने लगी है छाँव।
फूलों की कोपलों ने सर छिपाया
पंछियों ने भी अपने
घरोंदों पर कि परों की छाँव।
नदियों के जल ने जैसे ली समाधि
तैरती कश्तियों ने भी
किनारों पर पसारे पाँव।
डूब रहा है सूरज
होने लगी है छाँव।।