अमीरी और गरीबी की भूख
अमीरी और गरीबी की भूख
भूख तुझ में भी है, भूख मुझ में भी है।
पर तेरी भूख कुछ खाने की है,
मेरी भूख बहुत कुछ पाने की है।
तेरा भूख एक वक्त की रोटी चाहता है,
मेरा भूख केवल पैसा चाहता है।
रोटी काे पाकर तेरी भूख मिट जाती है,
पैसों को पाते मेरी भूख बढ़ जाती है।
तेरे पास जगह नहीं धन कमाने की,
मेरे पास जगह नहीं धन छिपाने की
तू मंदिर के बाहर अमीरों से माँगता है,
मैं मंदिर के अंदर ख़ुदा से माँगता हूँ।
तू रोटी खाकर रात में चैन से सोता है,
मैं पैसा पाकर नींद की गोली से सोता हूँ।
मिट जाए जो भूख अगर गरीबी की है,
बढ़ती ही जाए तो वह भूख अमीरी की है।