खामोशियाँ
खामोशियाँ
सुनो ये खामोशियाँ भी
कुछ कहती हैं
तुम हो हमेशा साथ मेरे
ये याद दिलाती रहती हैं
माना कि तुमसे दूर हूँ,
हालातों से मजबूर हूँ
तुम्हारे पास नहीं आ सकता मैं
जब आती है याद तुम्हारी
तो गले नहीं लगा सकता मैं
भारत माँ की रक्षा के लिए
एक माँ से बहुत दूर हूँ मैं
माँ भारती का वीर सपूत
फौजी के नाम से मशहूर
हूँ मैं
सुनो प्रिये तुम दिल में हो
ना मुझसे दूर समझ लेना
मेरी कुछ खामोशियाँ
इस खत के ज़रिये पढ़ लेना
इस बार करवा चौथ पर
चाहकर भी आ ना पाऊँगा
भूलकर एक पति का फ़र्ज़
बेटे का धर्म निभाऊंगा
इस बार करवाचौथ पर
एक यही गिफ्ट समझ लेना
जल्दी से आऊँगा छुट्टी
बस तब तक हिम्मत रख लेना
मम्मी-पापा के साथ-साथ
खुद का भी ध्यान तुम रख लेना
व्रत खोलते हुए मुझे स्मरण कर
बस खुद ही मिठाई चख लेना
तुम्हारा खत पढ़कर थोड़ा
भावुक हो गया था
जिसमें तुमने हमारी हसीन
यादों को पिरोया है
वर्दी का प्यार निभाने को
एक पति का फ़र्ज़ मैंने खोया है
मुश्किल होगा तुम्हारे लिए बहुत
जो इतने लम्हों को संजोया है
पर कैसे बताऊँ प्रियतमा
तुम्हारी याद में ये दिल भी
कितना रोया है...।