स्किल इंडिया
स्किल इंडिया
अतुल्य भारत, अद्भुत शिल्प ,
बेजोड़ कला,अजब शिल्पी,
गज़ब की है शिल्पकारी ।
वाह! रे प्रभु !
आपके सृजन का सृजन
हर कृति है नायाब-निराली।
ना पढ़ाई,ना लिखाई ,
ना डिग्री,ना बंधी कमाई।
बस अपना अनुभव श्रम है भाई,
ईमानदारी से दो जून रोटी कमाई ।
मिट्टी से कारीगरी ,मिट्टी से सृजन,
हाथों का कमाल ,हर थाप बेमिसाल।
कुम्हार सा जादूगर न कोई दुनिया में
मिट्टी को पलट दे अनोखे नमूनों में।
चाक पर चलते उसके हाथ ,
सफाई से करते काम,
हर डिजाइन, हर बर्तन ,
वह अपने मन से डालता जान ।
शत् शत् नमन हमारा ए शिल्पकार ,
तुम्हारी कृतियों से जीवन हमारा साकार।