Zahiruddin Sahil
Abstract
टूट जायेगी, खुद तुम से ये
खूबसूरत मुहब्बत की माला !
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को
तुमने अगर निकाला !
सुबह
रंग ए वतन
भेज भइया को ब...
आशियाना
अमल
इशारों क...
बुलावा
पैगाम
आँगन
होने से
कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में, कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में,
मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं। मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं।
लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥ लोग कहते माँ मुझे पर मैं बड़ी असहाय हूँ॥
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बेटियाँ। शृंगार बालों का हुआ है, झूलती है चोटियाँ। चकले थिरक जाते खुशी से, बेलती जब बे...
प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार। प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार।
एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।। एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।।
गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ। गुप्त आत्मालाप से जाग्रत हो उठती है, आत्म अनुभूतियाँ।
चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं। चलो दिवाली का एक नया रूप हम दिखाते हैं, दिवाली ऐसी भी होती आप सबको बताते हैं।
वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल। वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल।
यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में। यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में।
कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं। कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं।
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है? बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है?
प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी हुई है, प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी...
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान, हिंदी का सम्मान हमारा स्वयं का देश का है सम्मान,
सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना ----------- सृष्टि के संचालन में अहम् भूमिका है, एक पिता का होना -----------
वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ। वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ।
मत बाँधिए नियमों की जंज़ीरों से, आज़ाद जीना चाहती हूँ मैं; मत खींचिए कोई लक्ष्मण रेखा, बेखौ... मत बाँधिए नियमों की जंज़ीरों से, आज़ाद जीना चाहती हूँ मैं; मत खींचिए कोई ल...