तू इतनी बेदर्द क्यों है
तू इतनी बेदर्द क्यों है
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ज़िन्दगी तू ही बता तू इतनी बेदर्द क्यों है
हर पल इम्तिहान क्यों लेती रहती है
कभी तो ये सिलसिला तोड़ दे
कभी तो रहम कर तू हम पर
खुशियो से भी झोली भर कभी
हर वक्त क्यों गमो को हमारे दामन
में क्यों भेज देती है
अपने ही हमारे दुश्मन बने हुए है
गैरो पर भरोसा कैसे करेंगे हम
तूफान कोई न कोई रोज आ जाता है
सब कुछ तबाह करके ले जाता है
बार बार समेटते समेटते थक गए है
ऐ जिंदगी बस कर अब तो ये तबाही का सिलसिला