जज़्बात
जज़्बात
अक्सर, एक चेहरा मेरी रात गुजारा करती थी।
अक्सर, एक चेहरा मेरी तन्हाई से बाते करती थी।
बातें करते करते मेरी जिन्दगी बन गई।
जिन्दगी मेरी सिर्फ नाम की रह गई।
क्योंकि...
मैं अपने जज्बात मे बेह गया।
अपनी दिल की बात उससे केह गया।
फिर क्या
खोने के सिवा कुछ ना बच गया।
इसलिए मेरा दिल यह कविता रच गया।