“मेरा भारत है महान मैं नहीं लिखूँगा”
“मेरा भारत है महान मैं नहीं लिखूँगा”
भूखे बच्चे बिलख रहे हैं, एक रोटी की आशा में
उनकी माँऐं काट रहीं हैं, जीवन पूर्ण निराशा में
माताओं बहनों का घर से बाहर जाना दूभर है
चोरों बेईमानों की कुर्सी लगती सबसे ऊपर है
वो कुर्सी पे बैठ के पढ़ते और अफसर हो जाते हैं
टाट पे पढ़ने वाले आगे चलकर टाट उठाते हैं
आधा भारत बदल गया जाने कब आधा बदलेगा
करने इनका जीवन रौशन क्या कोई सूरज निकलेगा
जब तक पूरा देश न बदले
जब तक ये परिवेश न बदले
मैं विरोध के गीत लिखूँगा
मेरा भारत है महान मैं नहीं लिखूँगा।