चुनावी जंग
चुनावी जंग
हाथ जोड़े खड़े हैं नेता चुनाव के इस जंग में
अब कहते हो वोट दे दो कार्य पूर्ण होंगे नेतृत्व में।
चढ़ के तो शोर मचाते वचन कितने कर जाते हैं
हो गई जीत तुम्हारी तो जनता को यूं मसल जाते हैं।
अरे! एक बार तो सोच लेते आएगा ये धाक मान्य बरस में
अब आ गया देखो, नेताजन आगमन हुआ जन के बीच में।
मिल जाती कुर्सी तो देखो नजर कभी नहीं आते ये
नेता है ये देश के हमारे चलते निकले फिसल जाते ये।
इनको है कुर्सी की भूख भले अकिंचन को ले लूट
कहते हैं फ़रियाद सुनेंगे निर्धन की आवाज सनेंगे।
विजय होते ही यह सो जाते पता कही ना इनका होता
मरे जनता या लूटे जनता, इनका तो है सिक्का ही खोटा।
दौड़ लगाते चुनावी सभा में कुछ ऐसे होते इनकी ठाठ
जहां कहीं भी ये जाते फूलों की माला से होती इनकी ठाठ बाठ।
जनता की नब्ज टटोलने में बातें हजार कर जाते हैं
घूम घूम कर नेताजन एकदुजे को उकसाते हैं।
नेताओं के सिर ताज सजा कर जनता बनाती है एक राजा
करो प्रजा की अपनी सेवा, मत मारो जन जन की नाद।।