Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

मेरा कमरा

मेरा कमरा

1 min
1.4K


कुछ हल्के रंगों से रंगा है मेरा कमरा ,

चुप है मेरे जेहन के जैसे ,

हाँ , कुछ शोर है कमरे में ,

बिस्तर पर बिखरी पड़ी कुछ किताबें ,

आपस में गुफ्तगू करती हैं ,


कभी –कभी झगड़ने लगती हैं ,

कुछ कहानियां छिटककर बाहर गिर पड़ी हैं ,

मुझे मेरे नाना की कहानियों की याद दिलाती हैं ,

आजकल सब झूठ सा लगता है ,

बस इन कहानियों में सच्चाई नजर आती है ,


इनमें खोने से पहले ,

पास की खिड़की से ,

धुप की किरणें ,

मेरे ख्यालों को चुरा लेती हैं ,

जैसे ही मैं मुस्कराना चाहता हूँ ,

ये किरणें तीखापन बढ़ा देती हैं ,


कुछ बेतरतीब से कपड़े एक अलमारी को घेरे हैं ,

उसके ऊपर के खाने में कुछ बर्तन और कुछ सामान पड़ा है ,

पर मुझे मेरा कमरा खाली ज्यादा लगता है ,


मैं कुछ सोच ही रहा था ,

की कमरे में रक्खी किताबों ने फिर झगड़ना शुरू कर दिया ,

नाराज हैं मुझसे ,

लैपटॉप ने उनका वक्त चुरा लिया है ,


इस सब की आपाधापी में ,

कुछ अलग शोर सुनता हूँ ,

कमरा जो हल्के रंगों से रंगा है

पता नहीं क्या कहना चाहता है

हाँ , खाली कमरा शोर बहुत मचाता है!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama