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निकला एक भी आँसू तो दिल दुखेग

निकला एक भी आँसू तो दिल दुखेग

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कह दो पापा से मुझे करनी नहीं है शादी

शादी के नाम पर रूपयों की बर्बादी।

नाजो से पली हूँ मैं यहाँ, ऐसा आशियाना कहाँ पाऊँगी

आदत नहीं है दुख उठाने की, कोई तकलीफ़ कैसे

सह पाऊँगी 

बेझिझक है सभी आदतें मेरी, जो तुमने अपने सर

आँखों पर रखी।

कोई ज़िद ऐसी नहीं, जिसके लिए मैंने घड़ियाँ गिनी।

जो सपने सजाये वो पूरे भी किये।

ऐसी जिंदगी मैं कहाँ बसा पाऊँगी।


निकला एक भी आँसू तो दिल तुम्हारा ही दुखेगा।

तुम्हें कोई तकलीफ़ हुई तो पास भी ना आ पाऊँगी।

माना मैं जिम्मेदारी हूँ तुम्हारी, पर सबकी जिम्मेदारी

मैं नहीं उठा पाऊँगी।

ऐसा नहीं होगा कि मैं अपनी ख्वाहिशों की बलि चढ़ा दूँ

पर ये बात मैं किस किस को समझा पाऊँगी।


टूटी उम्मीद मेरी तो मैं भी टूट जाऊँगी।

कहने को दिल का टुकड़ा हूँ तुम्हारे, पर

अपने दिल के टुकड़े तुम्हें नहीं दिखा पाऊँगी

आदत नहीं की मैं खुद को बाँध सकूँ, खुला

आसमां दिया है तुमने उड़ने को मुझे।

अगर कैद हो गयी किसी की ख़्वाहिश

बनकर तो जी नहीं पाऊँगी।


खुले विचारों की नींव पर बनाया है तुमने

मेरे अस्तित्व को, 

अगर मिली दकियानूसी बातें सुनने को तो

चुप नहीं रह पाऊँगी।

तोहमत लगेगी तुम पर, तुम्हारे संस्कारों पर।

पर ये भी सच है संस्कारों के नाम पर कुछ

गलत सह नहीं पाऊँगी।



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