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माँ की गोद

माँ की गोद

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टूटे हस्ती तो भी उसी गोद में सुकून है

शांत स्वभाव पर ना रखे कोई जुनून है।


असीम दर्द सहकर तुझे दुनिया में लाई

देखकर तुझे खुशी का आंसू बहाया।


जिस घर में माँ ने तुझको बड़ा किया

चलना सिखाकर पैरों पे खड़ा किया।


क्यों आज तुझे लगने लगा छोटा वो घर

वृद्धाश्रम में छोड़ किया माँ को बेघर।


अब बेटा अपनी बीवी संग रहने लगा

ठाठ बाठ उसके सारे सहने लगा।


बेटा हुआ उसे कुछ ही सालों बाद

और बना वो भी एक बच्चे का बाप।


बड़ा हुआ वो कद्र उनकी करता नहीं

करनी है जैसी फल आखिर होगा वही।


अब अपनी गलती का आभास हुआ

माँ की गोद के शुकुन का एहसास हुआ।


सपना देखा और माँ सपने में आने लगी

अटूट प्रेम अपना बेटे को बताने लगी।


ना कर देवी की पूजा तेरी माँ ही काफी है

नाराज है वो तो क्यों मांगे मंदिरों में माफी है।


बूढ़ी हो गई माँ जो वृद्धाश्रम में रहती थी,

बेटा आएगा लेने ऐसा सभी को कहती थी।


फिर बच्चा बनके माँ की गोद में सोने लगा

बचपन की हसीन यादों में खोने लगा।


मत भूलना वजूद तेरा उसी की मन्नत है

झुक जा कदमों में जहाँ मिलती जन्नत है।


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