ग़ज़ल :- ज़ीस्त के ख़ौफ़ो - ज़लज़ल
ग़ज़ल :- ज़ीस्त के ख़ौफ़ो - ज़लज़ल
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मौत के ख़ौफ़ो - ज़लज़ले में हूँ।
मौत सुन तेरे रास्ते में हूँ।
मेरी वुसअत, मेरी हदों में है।
बा सबब है, तो दायरे में हूँ।
मेरे दिल पर मेरी हुक़ूमत है।
हर घड़ी दिल के ही कहे में हूँ।
मेरे अक्स ओ नक़ूश मेरे नहीं।
मुद्दतों से मैं आईने में हूँ।
ज़ीस्त के जैसा कोई ख़ौफ़ नहीं।
मौत के साथ हूँ, मज़े में हूँ।