ईश्वर
ईश्वर
तू अंबर है,
तू सरिता है,
तू धरती,
तू है जलधारा,
तू सूरज है,
हे भगवन,
तू इन्द्रधनु
तू ही जग सारा।
तू अंदर है,
तू बाहर है,
शोर है तू,
और तू ख़ामोशी,
गुणातीत तू है परमेश्वर,
जिसने सृजन किया भव न्यारा।
तू है आदि, मध्य, अंत
और तू पालन करता सृष्टी का,
बाकि जगत की परिभाषा क्या,
जाने न मन लीला ये हमारा।
बसता है तू कणकण में,
आँगन में और उपवन में,
बुद्धि, मन और देह में है तू,
बंधुसखा और विश्व हमारा।