वो एक लड़की है, माँ
वो एक लड़की है, माँ
देख ना माँ, वो एक लड़की है
खुद को संभाले रखती ऐसे जैसे,
आपकी पल्लू की सयो में,
अपनी दुख भरती है, माँ
देख ना माँ, वो एक लड़की है।
खुद लड़ती खुद रोती,
खुद को संभालती है माँ
दुख के पिंजरों में रह के,
खुद को कैद रखती है माँ
सारे गम को भूल के
दुसरों को खुश रखती है, माँ
देख ना माँ ओ एक लड़की है।
सुबह की धूप तो शाम की छाया है ,
सुबह की प्रार्थना, शाम की अज़ान है,
हर एक पिता की ओ दूसरी भगवान है,
है माँ, वो एक लाड़ली बेटी है, माँ
ओ एक लड़की है, माँ।