पहला दिन
पहला दिन
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी।
मै सुन्न खड़ा रहा वो आगे बढ़ गयी।
इतना नशा था उन आँखों में कैसे बयाँ करूँ,
हाँ, कम्बखत शराब भी फीकी पड़ गयी।
क्या हुआ है मुझे कोई तो बताओ।
यूँ उसका नाम लेकर ना चिढ़ाओ।
कुछ तो ज़रूर है मानना पड़ेगा,
जो ये जाहिल दुनिया मेरी आँखों में तेरा नाम पढ़ गयी।
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी।
होंठ उसका नाम पुकारने को मर रहे।
हाथ उससे मिलने की दुआ कर रहे,
और आँख का हाल कुछ ऐसा था यारा
के वो उसके दीदार की ज़िद पे अड़ गयी।
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी।
जब नज़रे मिली तो गर्मी थी जोरो की।
तपती धूप में आह निकल रही थी औरों की।
हमारा हाल कुछ ऐसा था प्यारे,
धड़कन थम रही थी और नब्ज़ अकड़ गयी।
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी।