सुनो शोना ...
सुनो शोना ...
ये जो पोशीदा-से
गिले-शिकवे हैं तेरी निगाहों के
चोट बहुत लगती है इनसे शोना !!
जुबाँ से फेंक दो तो चुन कर रख लूँ
बुझती नज़्मों को मुआवजा दे दूँ ।
ये जो पोशीदा-से
गिले-शिकवे हैं तेरी निगाहों के
चोट बहुत लगती है इनसे शोना !!
जुबाँ से फेंक दो तो चुन कर रख लूँ
बुझती नज़्मों को मुआवजा दे दूँ ।