सैनिक का पत्र
सैनिक का पत्र
मासूम था मै कभी, फ़ौलादी मैं कैसे बना
एक नन्हा सा बालक फिर सैनिक क्यों बना
सोचता हूं मैं कभी कभी
मैं ही रखवाला क्यों बना,
मंत्रियों के बेटे भी बहुत हैं, उन्होंने सेना को क्यों ना चुना
क्यों भेजेंगे मंत्री उन्हें, बेटा उनका अमूल्य है
गाँव वाले के बेटे क्या बेटे नहीं, जो आज सैनिक बने हैं
देश में हो यदि जरा भी आतंक तो, दोष सैनिकों पर डालते हैं
उन मंत्रियों से कहो की, ख़ुद सैनिक क्यूँ ना बने
पता चले उन नेताओं को, सैनिक का दिल क्या होता है
देश की रक्षा करते जब हम, आज़ाद तिरंगा लहराता है
जान हथेली पर रखकर, देश की रक्षा करते हैं हम
हमारी ही वजह से, नेताओं ओर मंत्रियों में है दम
मिट जायेंगे देश के लिए हम, तो हमें क्या मिलेगा
माना हमें मातृभूमि का प्यार मिला, घरवालों को क्या मिलेगा
देगी सरकार कुछ रुपये, दिलासा उन्हें कौन दिलाएगा
जितने देगी सरकार रुपए, उतने तो मैं ही दे जाऊँगा
मंत्रियों के ज़रा चोट भी आए, देश मैं ख़बर फैल जायेगी
पर कारगिल पर शहीद सैनिक की ख़बर, वही दफ़न हो जायेगी
मर भी गए तो हम, तो शहीदों में नाम आ जाएगा
थोड़े दिन रहेंगे शहीदों मैं हम, फिर हर कोई हमें भूल जाएगा
माँ का दूध तो हम सैनिकों में है, जो उस दूध का क़र्ज़ निभाएंगे
मंत्री ओर नेता के बेटे तो, बस राजनीति ही चलायेंगे