देश क्या सेे क्या हो गया
देश क्या सेे क्या हो गया
आजादी के साल हुए कई।
पर क्या हमने पाया है?
कहीं दंगे, कहीं मारपीट भ्रष्टाचारो के बीच
देश क्या से क्या हो गया।
वीर सेनानियों की वीर गाथाओ से बच्चे हो गए है अनजान।
हर तरफ छाया है भ्रष्टाचार
संसद में नेतागण करते है हंगामा
और अपने वादों का करते हैं बोलबाला।
देश में हर तरफ छाया है भूखमरी का आलम,
कहीं विद्रोह की आवाज,
कहीं पश्चाताप चल पड़ा है देश किस दिशा की ओर।
कहीं रो रहे हैं बच्चे भूख से
माताएँ - बहनेंं रहने लगी है अब सहमी-सहमी
बापू का था सपना
रामराज्य-सा हो देश अपना,
सोचा था क्या, लेकिन क्या हो गया
भ्रष्टाचार और घूसखोरी के बीच देश फंस गया,
देश क्या से क्या हो गया ।