दरारें
दरारें
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बीन कहे सब कुछ
तुम समझ जाओ
ऐसा रिश्ता तो कभी
निभाया नहीं
फिर भी ना जाने क्यों
जिंदगी के हर फैसले में
तुम साथ रहते हो...
कबसे ना जाने
मुड़ कर ना देखा
तुम्हारे पैरों के निशान
फिर भी ना जाने क्यों
मेरी परछाई के
साथ रहते हो..
एक छोटी सी
इल्तिजा थी
कोई पल एक ऐसा दे जाना
जो ताउम्र जिंदा रखे
मेरी वीरानगी को
क्यों की आज भी तुम
मेरे दिल की दरारों में
हर हाल रहते हो...