मेरी प्यारी माँ
मेरी प्यारी माँ
माँ के प्यार को तरसें जिनकी, सूनी - सूनी आँखें ..
दुआ है मेरी दिल से उनको भी, माँ का प्यार मिले
जैसे खिला मेरा मासूम बचपन, माँ के साये में,
उनका कोमल बचपन भी बस, ऐसे ही तो खिलेl
माँ है साथ मेरे तो मुझे मिले, हर तरह का सुकून
माँ के प्यार का ही मुझ पर, चढ़ा रहता है जुनून
परवाह नहीं है अब तो मुझे सच, कभी किसी की ,
माँ की सेवा में बहे भले, कितना भी मेरा ख़ूनl
माँ से क़ायम हैं जग में, दुनिया की सारी रस्में
माँ की सेवा करने की मैं तो, खाती हूँ अब कसमें
औलाद के सिर पर रहता है जो, हर पल माँ का साया, मुझे लगता है, रहता है संसार, जैसे उनके बस मेंl
माँ की मीठी बोली मेरे कानों में, हर पल रस घोले
सुन मेरे मन के तार भी, मधुर - मधुर ही बोलें
माँ के प्यार की ठंडी - ठंडी मिलती सुखकर छाया,
माँ के आँचल की शीतलता के, दिल ये राज़ है खोलेl
कर्णप्रिय आवाज़ में माँ ने, अनुशासन मुझे सिखाया
धन्य हूँ माँ कि तूने मुझे, अजब ये जग दिखलाया
कभी घोड़ा - रेल बनी तू, कभी खेली आँखमिचौनी
सारे नखरे सहे मेरे पर, खिलखिलाती रही तेरी काया।
मैं बीमार पड़ी तो प्यार से तूने, माथ मेरा सहलाया
सच, माँ के पास मैंने, कितना सुकून था पाया
आज मैं कहती हूँ कि, सुकून मिलेगा न उस संतान को, माँ का जिसने एक पल को भी, हाय! दिल है दुखायाl
माँ, गीता - गुरुग्रंथसाहब, कुरान और पुराण है
मधुर भजन - ग़़जल है, जिसको बार - बार मैं गाऊँ
करूं तारीफ़ क्या उस हस्ती की, नि: शब्द मैं अब तो ,
छुपाती जो सुख - दुख सीने में, उसे बार - बार शीश नवाऊँl
अब तो दुआ यही सुखी रहे, सदा दुआएँ देने वाली माँ
भोली, सौम्य, सहनशील, देवी - सी, मेरी प्यारी माँ
उसके रहते ज़िन्दगी में मैं तो, रहूँ कभी न तन्हा,
पहले पूजूँ माँ को अपनी, फिर पूजूँ मैं रब का जहांl