क्या रखा है
क्या रखा है
सोचते है हम ये कई बार खुद से बाते करते करते
कि क्या रखा था इस ऑनलाइन की दुनिया मे
जो हम इसके इतने दीवाने हो गए कि सब कुछ भूल गए
क्या हो रहा है आस पास इसका भी ध्यान नही रहता ।।।
ऑनलाइन पर इतना वक्त गुजारने लगे कि वजन भी बढ़ने लगा
चलना घूमना फिरना सब भारी लगने लगा
घर के भीतर ही मन लगने लगा महफिले ऑनलाइन की रास आने लगी
अपनो से ही हम नजरे चुराने लगें
ऑनलाइन पर दोस्त बनाने लगे ।।।
जाने क्यों ये लिखने का शौक बढ़ता गया बढ़ता गया
और हम को लोग कभी शायर तो कभी कवि तो कभी दीवानी पुकारने लगे
ये ऑनलाइन की दुनिया क्या देती है हमको हमारे बजुर्ग सवाल करने लगे
अब उनको हम कैसे समझाए ये सवाल भी अजीब लगने लगा
इसका जवाब तलाशते तलाशते अब हम भी परेशान रहने लगे ।।।