लिख रहा हूँ
लिख रहा हूँ
मेरे दिल की बात तेरे चेहरे के चक्कर लगाती
आज भर कर कलम सियाही से नज़्म लिख रहा हूँ।
एक बार घबराकर मिला था तुमसे कभी जब
जो तेरी आँखों में शब्द पढ़े थे वो शब्द लिख रहा हूँ।
मैंने रोका था तुमको किसी बहाने से वो
मैं आज कहानी बनाकर तेरी शक्ल लिख रहा हूँ।
तूने पलट कर जब जाते हुए देखा था मुझको
मैं ठहरा हुआ उस वक़्त में हर पल लिख रहा हूँ।
एक प्यारी सी भोली सी मुस्कुराहट है वो
मैं एक कवि बनकर आज तुम पर कविता लिख रहा हूँ।