साँसों का किराया अदा कर रहा हूं मैं
साँसों का किराया अदा कर रहा हूं मैं
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साँसों का यूँ किराया अदा कर रहा हूँ मैं
होंठों पे मुस्कुराहटों को भर रहा हूँ मैं
पैबंद सिर्फ जिस्म नहीं रूह तक में है
जैसे किसी फकीर की चादर रहा हूँ मैं।
तुम कह रहे हो सब यहाँ महफूज़ हैं मगर
बेटी को अपनी देखके ही डर रहा हूँ मैं।
तुम साथ धूप में जो चले यूँ लगा मुझे
साये में बादलों के सफ़र कर रहा हूँ मैं।
सहमा हुआ समां भी है दहशत है हर जगह
लगता है अपने साये से भी डर रहा हूँ मैं।
तुम आ गए तो रौनक-ए-हस्ती भी आ गयी
'महबूब' मेरे अब ख़ुशी से मर रहा हूँ मैं।