चार यार
चार यार
सुनने में लगेगी जो तुम्हें बहुत पुरानी,
शायद ऐसी ही है कुछ मेरी भी कहानी।
आओ ले चलता हूँ तुम्हें ज़िंदगी के उस पार,
जहाँ होते थे मैं, वो, और मेरे चार यार।
वो जिससे करता था मैं बेइंतेहा प्यार,
जो कभी भी न बन सकी थी मेरी यार।
हर ख्वाब में जिससे करता था मैं इज़हार,
वो तो कर चुकी थी किसी और से इकरार।
अब जो बचा था वो था बस इंतजार,
और मेरे चार यार...!