मैं, मैं ही हूँ
मैं, मैं ही हूँ
मैं, मैं ही हूँ, मैं तुम नहीं हूं
मैं जैसी हूँ वैसी ही हूँ
मुझे तुम बदल नहीं सकते।
मुझे जो करना है, मैं वो ही करुँगी
मैं अपने रास्ते खुद बनाऊँगी
तुम्रेहा बनाये हुए रास्ते पर
मैं नहीं चलूँगी।
करुँगी वही जो मेरे सपने में आएगा
करुँगी वही जो मेरा दिल कहेगा
करुँगी नहीं अपनी मर्जी के बिना
मैं कुछ भी मैं।
बनाऊँगी खुद के नियम
बनाऊँगी खुद की मंज़िल
बनाऊँगी खुद का आशियाना।
नहीं मैं किसी से भी रुकने वाली यहाँ
नहीं मैं किसी से भी डरने वाली यहाँ
नहीं मैं किसी के आगे झुकने वाली यहाँ।
देखूंगी सपने मैं खुद के
पूरे करुँगी मैं खुद
सपनों से ही चूमूँगी मन्ज़िल खुद की।
क्योंकि मैं, मैं ही हूँ।