स्कूल के दिन
स्कूल के दिन
ना जाने हम कब बड़े हो गए?
स्कूल के दिन न जाने कहाँ खो गए?
दोस्तों की बातें जब भी याद आती
आँखों में नमी सी छा जाती है।
वो दोस्तों की गपशप वो दोस्तों से लड़ना
टीचर के डाँटने पर छुप-छुप के हँसना।
हर राह में दोस्तों का साथ निभाना।।
सही और गलत की पहचान कराना।
वो अपना लंच झट से चट कर जाना।
वो दोस्तों के बीमार होने पर उसको देखने जाना।
वो उसका छूटा हुआ होमवर्क, खुद करके टीचर को दिखाना ।
कभी-कभी कोई बहाना बनाकर स्कूल न जाना।
और स्कूल जाते ही छुट्टी होने की राह देखना।
कोई शरारत करके मासूम सा चेहरा बनाना।
सबसे छुपकर कक्षा में उत्पात मचाना।।
कभी-कभी किसी दोस्त को मिलकर सताना।
अपने मित्रों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाना।
दोस्तों के साथ हर दिन स्कूल आना-जाना।
कभी-कभी घर देर पहुँचने पर माँ की डॉट खाना।
वो स्कूल के पल लौटकर ना आएँगे।
हम बस उनको याद करके ही खुश हो जाएँगे।
माना की उन पलों को याद करके आँखों में आँसू तो आएँगे।
पर उनके सहारे ही हम पूरा जीवन जी जाएँगे।