समय
समय
जब पाँव थके
अंगार बांधूंगी मैं
जब आँख कसैली हो
मिर्च का पानी डाल दूँगी
अभी पीपल के
हरे पत्ते को सूख कर
जाली-जाली होते देखना है
जंगल की ओर निकलना है
उड़ चुकी मधुमक्खियों के
छत्ते को निहारना है
उस मधु के
स्वाद तक पहुंचना है।
जब पाँव थके
अंगार बांधूंगी मैं
जब आँख कसैली हो
मिर्च का पानी डाल दूँगी
अभी पीपल के
हरे पत्ते को सूख कर
जाली-जाली होते देखना है
जंगल की ओर निकलना है
उड़ चुकी मधुमक्खियों के
छत्ते को निहारना है
उस मधु के
स्वाद तक पहुंचना है।