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Bharti Suryavanshi

Drama

0.2  

Bharti Suryavanshi

Drama

लहू के रंग अनेक

लहू के रंग अनेक

1 min
13.7K


सड़क पर बिखरे

लहू के रंग अनेक

कहीं हिन्दू

कहीं मुसलमान

तो कहीं पारसी

कहीं सिख तो

कहीं ईसाई !

शवों की चादर में

लहू के रंग अनेक।


बहता रक्त ज़मीं पर

कीमत नहीं है कोई

कैसा ये धर्म है

कैसी ये जाति

जिसका मकसद बस एक है

खून की बर्बादी !


खुद को कहते

कैसे ये शूरवीर हैं ?,

जिनका चेहरा तक नहीं

क्यों बांटे वे हमें…!

क़तरा क़तरा सबका लाल

फिर भी लहू के रंग अनेक..!


तो क्यों है

ये धरती, जल, अग्नि

और वायु

सबके लिए एक ?

क्यों नहीं कुदरत में भेद ?

कीमत क्या

इस इंसानी लहू की ?

क्या वजह नफरत की ?

क्या दोष इन सबका ?,

क्यों आँँसू के रंग अनेक ?

लहू के रंग अनेक...!


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