“हम राम बने हम कृष्ण बने, हम राणा की हुंकार बने”
“हम राम बने हम कृष्ण बने, हम राणा की हुंकार बने”
हम राम बने हम कृष्ण बने, हम राणा की हुंकार बने
हम बने बहादुरशाह जफ़र, हम टीपू की तलवार बने
हम मंगल हैं हम ऊधम हैं, हम चंद्रशेखर आज़ाद भी हैं
हम हैं सुभाष हम राजगुरु, हम बिस्मिल हैं अशफ़ाक भी हैं
बन भगत सिंह हमने ही तो, सत्ता को धमक सुनाई थी
बनकर मनोज हमने ही तो, दुश्मन को धूल चटाई थी
जो कुछ भी ठाना है हमने, पूरा करके दिखलाया है
हमने धरती से अम्बर तक, अपना लोहा मनवाया है
बढ़ते मंजिल की ओर सदा, बिन सोचे कितनी दूर है
हम भले न पहने हों खादी, पर ख़ुद्दारी भरपूर है
हर एक युवा के दिल में, पूरा एक समंदर पलता है
जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर ज़माना चलता है