लम्हों के धागों
लम्हों के धागों
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लम्हों के धागों से,
कुछ सपने बुनती हूँ,
लम्हे मेरी यादों के,
कुछ अतीत के,
कुछ वर्तमान के,
और सपने,
कुछ वर्तमान के,
कुछ भविष्य के,
कतरा – कतरा लम्हे,
नन्हें - नन्हें सपने
भीगी ओस से लम्हे
चांदनी से सपने
क्या पूरे होंगे कभी?
क्योंकि,
सपने तो सपने होते हैं ना...