कुछ
कुछ
कुछ चेहरें हैं अनजाने से
कुछ अपने कुछ बेगाने से।
कुछ हमको पागल कहतें हैं
कुछ लोग हैं बड़े सयाने से।।
कुछ ने तो हमको छला बहुत
कुछ ने तो किया है भला बहुत।
कुछ लोग बहुत खुश हैं हमसे
कुछ को हमसे है गिला बहुत।।
कुछ शब्दों में बह जातें हैं
कुछ आँखों में कह जातें हैं।
कुछ सुनकर भी चुप रहतें हैं
कुछ सुनकर भी सह जातें हैं।।
कुछ लोग घाव पे मरहम हैं
कुछ लोग घास पे शबनम हैं।
कुछ लोग खुशी से पागल हैं
कुछ लोगों की आँखें नम हैं।।
कुछ फूलों से महके हुए हैं
कुछ भँवरों से चहके हुए हैं।
कुछ शीतल हैं चन्दा जैसे
कुछ सूरज से दहके हुए हैं।।
कुछ दरिया जैसे बहतें हैं
कुछ गुमसुम खुद में रहतें हैं।
कुछ आसमान में उड़ते फिरे
कुछ लोग जमीं पे रहतें हैं।।
कुछ एक जगह पर ठहरे हैं
कुछ सागर से भी गहरे हैं।
कुछ देखने वाले अंधे भी
कुछ सुनने वाले बहरे हैं।।
कुछ करके कुछ शर्मिंदा हैं
कुछ उड़ते हुआ परिंदें हैं।
कुछ जिन्दा हैं ज्यों मरे हुए
कुछ मरकर भी तो जिन्दा हैं।।
कुछ लोगों का है पूरा जहां
कुछ लोग तो कुछ भी नही यहाँ।
इस दुनिया में या तो सब है
या यारों कुछ भी नही यहाँ।।