मैं खुद पर यकीन करना चाहता हूँ
मैं खुद पर यकीन करना चाहता हूँ
मैं खुद पर यकीन करना चाहता हूँ।
मैं एक बार तकदीर से लड़ना चाहता हूँ।
दे मौका अगर खुदा मुझे कुछ पाने का
बस अपने माज़ी को बदलना चाहता हूँ।
जो खुल जाएँ बेड़ियां पैरों की
वक़्त के साथ चलना चाहता हूँ।
बदल दे जो कुदरत दस्तूर एक बार
सूरज ढलने के बाद भी रोशन रहना चाहता हूँ।
जो दिखा दे शक्ल हर शख्स की
एक ऐसा आईना बनना चाहता हूँ।
समंदर में पहचान नहीं एक बूंद की
सीप में मोती की तरह झिलमिलाना चाहता हूँ।