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आकाश में एक दृश्य

आकाश में एक दृश्य

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पूर्णिमा की रात में

स्लेटी आकाश में

बदरी कुछ इस तरह पसरी है

मानो एक बहुत बड़ी मछली पड़ी है

 

सुनहला चाँद जड़ा है जिसपर

बनकर बड़ी-सी आँख

 

बादल के नन्हे-नन्हे कतरे

मछली की त्वचा पर

चाँदी के चोंयटे बन सजे हैं

 

मुँह और पूँछ भी

 

बादल ही बने हैं!


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