पत्ता
पत्ता
पत्ता था,
सूख गया,
पेड़ से गिरा,
टूट गया!
हवा ने छुआ,
उड़ गया,
उड़कर किसी मिट्टी में,
मिल गया,
मिट्टी को उर्वर बनाने में,
मिट गया!
कहीं किसी की भूख,
किसी की प्यास,
मिटा रहा था,
किसी नए पेड़ की,
शाखा बना रहा था!
जीवन की सच्चाई वो,
जान गया था,
दुनिया के लिए तो,
पेड़ से जब टूटा,
तभी हार गया था!
हारा तो बस उसने,
वो पल था,
जीतने के लिए,
जीने के लिए,
देने के लिए सभी को,
एक नई ज़िन्दगी!