बारिश की बूँदें
बारिश की बूँदें
बारिश की बूँदें
टप टप की आवाज से
मानो कह रही हो
मुझसे
छू लेने दो
अपनी इन
हथिलियों को;
भिंगो लेने दो
अपनी गीले नयनो को;
खत्म करो अब
इंतजार
भर लेने दो न
अपनी आगोश मेंl
हवा संग
कभी खिड़की
से आकर
आहिस्ते से
चूम गयी
मेरे होठों को;
मानो कह रही हो
क्या रुठना
क्या मनाना तुमसे,
फिसल जाने दो
अपनी जुल्फों से;
और बूँद बूँद कर
बरस जाने दो न
मुझे खुद पर ,
तर कर लेने दो
मुझे अपने प्रेम
की बारिश में...!