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गुड़िया को इन्साफ चाहिये

गुड़िया को इन्साफ चाहिये

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गुड़िया को इन्साफ चाहिये

दुष्कर्मी को सजा चाहिये ।

वालिग हो या नावालिग हो

सजा सभी को होना चाहिये ।

नावालिग दुष्कर्म करे

क्या दुष्कर्म नही होता है ।

कानून भले ही कुछ कहता है

दुष्कर्म तो आखिर होता है ।


गुड़िया हो या कोई और हो

दुष्कर्म का दाग तो लगता है ।

जिन्दा बचने पर ये दर्द तो

साथ हमेशा ही रहता है ।

कलंक का दाग तो जीवन

भर साथ ढोना पड़ता है ।

दस बीस साल मे न्याय

को पाने थाना कोर्ट

कचहरी मे जाना पढता है ।

पीड़िता की छाप जो लगती

उस दर्द को भी सहना पड़ता है ।


दुष्कर्म के दर्द तो भर नही पाते

कई और दर्द जुड़ जाते है ।

न्याय को पाने जीवन भर

ये कलंक नही मिट पाते है ।

कैसा न्याय कहाँ का न्याय

कभी नही मिल पाता है ।


बेटी के दुख देख देख

माता पिता तो जीते जी

जिन्दा रह कर मर जाते है ।

रोज रोज ऐेसे नये दुष्कर्म

पेपर मे पढने मिल जाते है ।


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