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मन करता है

मन करता है

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छुप-छुप छम- छम बरसा करती थीं जो अँखियाँ

कहती हैं मुझसे अब मुस्कुराने को मन चाहता है

कहती है सिसकती ज़िन्दगी

अब तो ख़ुशी का गीत गुनगुनाने का मन करता है

हुआ अजब यूँ ये नज़ारा है

कर बेठा मन यूँ ख़ुद से बगावत  

कैसे समझाऐं इसे ख़्वाब कोई हक़ीकत तो नहीं

रो तो जाती पल दो पल में ये दो अँखियाँ हैं

पर खिलती कहाँ यूँ

मुस्कान पल दो पल में है ||

छेड़ नहीं सकती यूँ

सरगम के गीत  ज़िन्दगी चाहने भर से

कब ले करवट किस ओर

तक़दीर की लहर ये कौन कहे

है कितना नादाँ ये दिल

कहता है एक बार किस्मत से लड़ जाने को मन करता है

एक बार अँधेरों से निकलकर

सुनहरे उजियाले को छूने को मन करता है

उतार काँटों का कफ़न

फूलों की चादर ओढ़ने का मन करता है

हो चुकी रूलाईयाँ बहुत

अब तो ख़ुशी का गीत गुनगुनाने का मन करता है |

अब न रोऐंगे यूँ बार –बार

ख़ुद से ये वादा करने को मन करता है 

कहता यूँ दिल मुझसे है

एक बार आँसुओं से उभर

मुस्कुराने को मन करता है |

एक बार आँसुओं से उभर

मुस्कुराने को मन करता है ||

~~~~ मीनाक्षी सुकुमारन ~~~~

 


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