उम्मीद - एक संघर्ष
उम्मीद - एक संघर्ष
कोशिश कर तू हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा
कोशिश को तू ज़िंदा रख,
खारे समंदर से भी
गंगाजल निकलेगा।
रो कर यूँ फ़रियाद न कर,
व्यर्थ समय बर्बाद न कर,
कर्मठता की राह पकड़ कर,
सपनों को आबाद तू कर।
मेहनत तेरी रंग लाएगी,
भाग्य तेरा भी बदलेगा,
कोशिश कर तू हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
माना काँटों से जीवन भरा हुआ है,
तपती धूप से जला हुआ है,
रेगिस्तान की मृग तृष्णा-सा
एक बवंडर खड़ा हुआ है।
सोच में पड़ मत,बढ़ तू आगे
यह आवरण भी अवश्य हटेगा
कोशिश कर तू हल निकलेगा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
बन के अर्जुन,रणभूमि का तू
कर्मभूमि पे कौशल दिखा,
जीवन के हर पग पर तू,
अपने हुनर का सबब सिखा।
रख तू यक़ीं अपने जौहर पर,
बंजर ज़मीं से भी फल निकलेगा,
कोशिश कर तू हल निकलेगा
आज नहीं तो कल निकलेगा।