आतंकवाद क्या है ?
आतंकवाद क्या है ?
वो बच्चा जो ठीक से चल नहीं पाता
उस पर अपनी उम्मीदों की गठरी लादना
ललचाई हुई नज़रों से उसे देखना
अपने उबे हुये जीवन का उत्तराधिकारी बनाना।
उसके कोमल पंख पर खुद की हिस्सेदारी जमाना
पाले हुये कबूतर सा सामार्थ्य विहीन करना
आकाश की उँचाइयों को नापनें कि
तमाम संभावनाओं से रोकना
आतंकवाद नहीं तो क्या है ?
वो युवक जिसके अंदर ऊर्जा अपार है
हृदय नूतन आगाज़ को आतुर है
प्रेम के छलकते घड़े सा भरपूर है
उसे निरर्थक व्यवधानों से बांधना
सड़ चुकी समाजिकता मे ले जाना।
वो लहू जो पूरब की अरुणिमा बन सकता था
उसे कभी न खत्म होने वाली क्षुधा से सोख लेना
यौवन कि तमाम संभावनाओं को
अधेड़ी की तरफ धकेलना
आतंकवाद नहीं तो क्या है ?
वो बच्ची जिसे अपनी
दैहिक बनावट का आभास नहीं है
लिंगभेद का भान नहीं है
उसे आबरू के काले चादर से ढक देना
इज्जत की देवी कहकर कैद कर देना
जो यौवन मे बच्चे के अलावा सृष्टि की
अन्य संभावनाओं की जननी बन सकती थी
उसे वक़्त के पहले बांझ बना देना
आतंकवाद नहीं तो क्या है ?
चुपचाप सर झुकाकर चलना
साफ साफ दिख भी जाये,
नज़र लड़ भी जाये तो नज़र चुरा लेना
घुटनों के बीच सर दबाकर व्यस्त रहना
अंदर से उभरती सम्वेदनाओं को मार देना
चुपचाप चादर तानकर सो जाना
उसी वहशियत का हिस्सा बनना
जिसके शिकार खुद है
दिल की धड़कनों को धीरे करना
और मौन स्वीकृति देना
आतंकवाद नहीं तो क्या है ?