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Versha Gupta

Inspirational

5.0  

Versha Gupta

Inspirational

माँ आप बहुत याद आती हो..

माँ आप बहुत याद आती हो..

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माँ आप बहुत याद आती हो..

आप की एक एक बात याद आती अब तो...

जब आप कहती मत सुनो मेरी..

तरसोगी एक दिन माँ के लिए

सच मैं तरस जाती हूँ माँ के प्यार के लिए ,

साल में एक बार ही तो मिल पाती हूँ आपसे


तरस जाती हूँ आप के लाड़ प्यार और डांट के लिए

आपका कहना सुबह जल्दी नहीं उठी तो..

जिम्मेदारी से नींद उड़ जायेगी।

सच में नींद उड़ गयी है दिन भर बस

जिम्मेदारियाँ ही घूमती है आँखो के आगे


खाना न खाओ तो, देखना एक दिन

कोई नहीं पूछेगा खाने के लिए

सच में कोई नहीं पूछता खाने के लिए,

क्योंकि अब तो मैं ही सबको बना कर खिलाने वाली

सास कहती मैं तुझे बिठा कर कोई खिलाऊंगी।


कोई काम न करो तो.. देखना एक दिन

चक्करघिन्नी की तरह घूमेगी

सच में चक्करघिन्नी बन गई आपकी बेटी

घर, ऑफ़िस ,बच्चे बाहर सब कुछ सम्भालते हुए।


उनसे कोई काम कह दो तो, कहती

करो अपने आप 'माँ हमेशा साथ नहीं रहेगी'

सच में अब माँ हमेशा साथ नहीं हैं हमारे सुख में हमारे दुख में

उस वक्त नहीं समझ आती थी माँ की अहमियत।


अब जाना खुद एक माँ बनकर

जब भी जाती आपके पास भूल जाती सब जिम्मेदारियाँ

सब कुछ पर जब नजर जाती बैग पर 

वो मुंह बना कर चिढ़ाता, मत इतना इतरा,

तू यहाँ सिर्फ दो चार दिन की मेहमान,

जिस घर में खेली वही हो जाता पराया


लड़कों के लिये तो उनकी माँ होती उनके साथ

बहन, बेटी भी माँ का रूप ले लेती और

पत्नी भी माँ की तरह ख्याल रखती पर

लड़की के जीवन में माँ दोबारा नहीं आती


माँ आप बहुत याद आती हो....


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