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Vivek Mishra

Inspirational

5.0  

Vivek Mishra

Inspirational

बदलता मौसम

बदलता मौसम

1 min
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तुम आयी हो तो ये मौसम बदला सा है

वरना बड़ी तेज धूप थी, पाँव जलते थे।


जिस्म से रूह की बूँद बूँद बह रही थी

तुमने कभी अपने मीठे बोलों से डाली थी जो,


उन्ही कतरों को बचाता रहा हूं आज के दिन के लिए

इस तेज धूप में तुम अब्र का सुहाना साया हो।


इस तपती जमीन पर पानी का नम्र एहसास हो

तुम आयी हो तो ये मौसम बदला सा है।


इस नए मौसम में मैंने दीवारों पर नए रंग चढ़ाये हैं

एक शेल्फ पर रखी तुम्हारी कई पुरानी तस्वीरे थीं।


जिन्हें तुम्हारी नयी तस्वीरों से ढकता जाता हूं

ढकता भी क्या हूं, बस एक कोने में सरकाता जाता हूं।

 

जरा धुल उनपर मगर चढ़ने नहीं दी है

वैसे ही जैसे तुमने अपनेपन से मेरे सारे अहँकार को

सरका कर एक किनारे कर दिया है।


और अब तुम उस पर कोई भी रंग चढ़ने नहीं देती हो

तुम आयी हो तो ये मौसम बदला सा है।


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