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ज़िन्दगी का सफ़र

ज़िन्दगी का सफ़र

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सफ़र जो शुरू हुआ है जन्म से
सफ़र जो चलेगा जीवन अंत तक
सफ़र जिसमें कुछ को राहें मिल गईं
सफ़र जिसमें कोई गया राहें भटक

इस सफ़र में हम मिले कुछ अपनों से
इस सफ़र में हम घिरे कुछ सपनों से 
चाह है बस लक्ष्य की खातिर चलें हम अंत तक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक 

इस सफ़र ने हमको बताया राज़ जीने का
इस सफ़र ने कौशल सिखाया गम को पीने का
इस सफ़र के हर मोड़ पर, विधि ने दिया हमको पटक
सफ़र चलते किसी मोड़ राहें मिली, किसी मोड़ हम गए भटक

मुश्किलों ने साथ जब छोड़ा नहीं
नियति ने भी भाग्य जब मोड़ा नहीं
जिन अपनों  से थोड़ी आस थी, वह भी आगे बढ़ गए कन्धा झटक
किसी निर्जन मोड़ पर राहें मिली, किसी निर्जन मोड़ हम गए भटक

क्या मांगते ईश्वर से कुछ कम वेदना
जीवन लक्ष्य एकल है हमको भेदना
पुरुषार्थ के बल-तेज से, पुष्प बन जाएगा हर पथ कंटक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक 

जीवन सफ़र में ऐ पथिक एकल ही चलना है हमें
हर चुनौती पार कर, अग्नि में जलना है हमें
भौतिक सुखों को त्याग दे, इस मोह में तू मत अटक
किसी मोड़ मिल जाएंगी राहें, किसी मोड़ जाएंगे भटक।

 

 


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