Inderpreet Singh
Drama
बदलते देखे हैं
रिश्तों के आकार मैंने
अजनबी हैं
जो कभी
हमराज़ हुआ करते थे...!
मुलाकात
रिश्ते
दुनिया भर का बोझ उठाए, ये नन्हे नन्हे हाथ मेरे...! दुनिया भर का बोझ उठाए, ये नन्हे नन्हे हाथ मेरे...!
एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है ! एक जीत पाने के लिए, कई हार साथ होती है !
कभी मुझसे मिलना चाहे तो, कहना पलकों को ढक कर उससे, दिलों में शायद ज़िंदा हो, यही बस... कभी जो बात... कभी मुझसे मिलना चाहे तो, कहना पलकों को ढक कर उससे, दिलों में शायद ज़िंदा हो, य...
ममता में डूबे ख़जाने देखे हैं, हाँ, मैंने, माँ के आँसू देखे हैं ! ममता में डूबे ख़जाने देखे हैं, हाँ, मैंने, माँ के आँसू देखे हैं !
उलझनों में रहकर भी सुलझे रहना ही तो ज़िन्दगी है...! उलझनों में रहकर भी सुलझे रहना ही तो ज़िन्दगी है...!
मौत पे सौ आँसू बहाते है लोग ! मौत पे सौ आँसू बहाते है लोग !
सूरज की आहत किरणों से दी है तुमने राहत मुझे ! सूरज की आहत किरणों से दी है तुमने राहत मुझे !
मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ? मोम के कोमल पंख लगाकर मैं क्यों सूरज को छूना चाहता हूँ ?
आज मैंने मौत से भी अपनी दोस्ती कर ली...! आज मैंने मौत से भी अपनी दोस्ती कर ली...!
हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल, पर्वत श्रृंखला मात... हिमगिरि से निकल कर कल-कल, निरंतर प्रवाहमान करती छल- छल, है मेरी जलधारा निर्मल,...
आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान ! आओ मिलके स्वच्छ बनाएँ अपना प्यारा हिंदुस्तान !
खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार खास की मन को मिल जाये, शांति उपहार पर खत्म नहीं हो रहा है, साखी का इंतजार
कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं वो तुम नहीं, वो हम नहीं ! कौन है दुनिया मे जिसको ग़म नहीं वो तुम नहीं, वो हम नहीं !
इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री ! इस किताब को पढ़ती नहीं जीती है स्त्री !
तुम आये तो बहार आ गयी हर लम्हे में खुशियां छा गयी...तुम साथ हो तो फिर से जीने को दिल करता है हर ब... तुम आये तो बहार आ गयी हर लम्हे में खुशियां छा गयी...तुम साथ हो तो फिर से जीने ...
कि जब बचपन मिले इसमें इस बार मायूसी ना हो...! कि जब बचपन मिले इसमें इस बार मायूसी ना हो...!
वो तो खर-पतवार जैसे उग ही जाती बेटियां पत्थरो-दीवार जैसे उग ही जाती बेटियां... वो तो खर-पतवार जैसे उग ही जाती बेटियां पत्थरो-दीवार जैसे उग ही जाती बेटियां...
क़लम की इस पैनी नोंक ने मुझे, शमशेरों से लड़ना सिखा दिया... क़लम की इस पैनी नोंक ने मुझे, शमशेरों से लड़ना सिखा दिया...
अब तो बस उन लम्हों को जीने का जी करता है...! अब तो बस उन लम्हों को जीने का जी करता है...!
उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे... उसकी बिखरी खुशबू में कुछ बातें कहनी थी तुमसे...