सोचो जरा
सोचो जरा
क्या करना इस जीवन में अब
मैं क्या सोचा, वो कम खिलाफ नहीं।
फिर भी हम भूलते नहीं,
अपना फ़र्ज़ निभाने
का हम को पता नहीं,
मेरा रास्ता का झंझट।
सवाल ना पूछो,
सोचो जरा ईमान से
मेरा दिल था तड़प रहा
आपकी बातों से।
देख रहा हूँ लोगों को
इज़ाज़त की खुशी नहीं
मेरा दिल अब,
ग़म में फँस गया।
मैं जानूँ, ना तुम जानो
किस्मत खुदा के पास
नसीब है, नाशों का अंदर
बात हुई बदनामी के साथ।
कल नहीं, आज नहीं, कभी नहीं
रास्ते अलग हो तो ख़ुदा क्या करें
जीने की तमन्ना नहीं हो
तो ख़ुदा आफिज
चलेंगे अपने रास्ते अलग से।