व्यापार
व्यापार
दिल की जो बातें थी सुनता था पहले
सच ही में सच था जो करता था पहले
करने अब सच से खिलवाड़ आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।
कमाई की ख़ातिर दबाता है सब को
गिरा कर औरों को उठता है खुद को
कि ज़हन में जब से अंगार आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।
मुनाफ़े की बातें ही बातें जरूरी
दिन में जरूरी, रातों को जरूरी
देख वादों में उसके करार आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।
पैसे की चिंता ही उसको भगाती
दिन में बेचैनी, रातों को जगाती
कि रिश्तों में उसके दरार आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।
मूल्यों सिद्धांतों की बातें हैं करता
पर मूल्यों सिद्धांतों की बातों से डरता
कथनी करनी में तकरार आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।
नहीं कोई ऐसा जिसे छला न जग में
शामिल दिखावा हर डग, पग, हर रग में
कि करने अपनों पे प्रहार आ गया
लगता है उसको व्यापार आ गया।